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व्यर्थ बने जाते हो हिरजन, तुम तो मधुजन ही अच्छे, पाप अगर पीना, समदोषी तो तीनों - साकी बाला, कल की हो न मुझे मधुशाला काल कुटिल की मधुशाला।।
व्यर्थ बने जाते हो हिरजन, तुम तो मधुजन ही अच्छे, पाप अगर पीना, समदोषी तो तीनों - साकी बाला, कल की हो न मुझे मधुशाला काल कुटिल की मधुशाला।।